क्या प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाबजूद भी आदिवासी लड़की को न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ेगा

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र अम्बिकापुर के शहर में एक सुबह अचकन से कुछ पुलिस वाले एक लड़की के किराए के मकान का दरवाजा खटखटाते हैं लेकिन के कौन हो पूछने पर अभद्र गाली देते हुए उसके साथ गलत व्यवहार करते हैं साथ ही एक आरक्षक जिसका नाम भोजराज पासवान है युवती को बाल से पकड़ कर खींचते हुए नजर आ रहा है,जिसका सीसीटीवी वीडियो भी उपलब्ध है

अब इस आदिवासी लड़की ने सरगुजा आईजी को बड़ी उम्मीद के साथ अपने साथ हुए अन्याय की शिकायत की लेकिन वो कहावत है की न्याय तो केवल बड़े लोगों को ही मिलती है पैसे वालों को ही मिलती है,शायद यही वजह है की जब इस मामले की जांच सरगुजा आईजी द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारी से करवाई जा रही है तब भी उस लड़की को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है। जब लड़की अपने शिकायत की स्थिति जानने के लिए आईजी ऑफिस जाती है तो इस टेबल से उस टेबल तक दौड़ाया जाता है कुछ कर्मचारी उसे बताते हैं की जांच पूरी हो गई है और जांच में सब झूठ पाया गया और कोई उसे कहता है की जांच अभी चल रही है,लेकिन ऐसे में सवाल उठता है की क्या अगर पुलिसवालों से कोई अपराध हो जाए तो उन्हें सब छूट होता है कुछ भी करने का..? क्या एक लड़की को बालों से खीच के लाने का अधिकार पुलिस के जवानों को है..? यदि हां तो उन लोगों की भी क्या गलती है जो न्याय ना मिलने की स्थिति में अपने अधिकार की लड़ाई खुद लड़ते हैं फिर उसके लिए किसी गलत तरीके का सहारा ही क्यों ना लिया जाए , यदि ऐसे लोग गलत हैं तो फिर पुलिस वाले जो को एक लड़की को बालों से पकड़ कर खींचते हुए नजर आ रहे हैं जिसका वीडियो भी सार्वजनिक है वो कैसे सही हो गए। क्या आदिवासियों को जीने का अधिकार नहीं है.? या उन्हें हमेशा अत्याचार सह के ही रहना पड़ेगा..? कब तक ऐसे पुलिस वालों का ठीकरा पुलिस विभाग सहता रहेगा जो विभाग की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आज वो आरक्षक अपनी एक गलती पे पक्षता रहे होंगे की शायद सीसीटीवी कैमरे पर नजर डाल ली होती तो आज मामला ऐसा ना होता। सीसीटीवी फुटेज साफ दिख रहा है की लड़की को बाल पकड़ कर खींचा जा रहा है बाबजूद इसके कार्यवाही आज तक नही हुई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *