कितने अधिकारी आए और गए पर  लेकिन आवेदक की समस्या का आज तक नहीं हुआ समाधान

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सूरजपुर जिले में एक आवेदक कई सालों से अपने लिए न्याय की मांग कर रहा है लेकिन आज पर्यंत तक उसे उसकी समस्या का समाधान नहीं मिला है। कितने अधिकारी आए और गए लेकिन आवेदक की समस्या जस की तस बनी हुई है।जब न्याय की मांग करते करते कई साल बीत चुके हों और न्याय की कोई आस ना मिले तो पीड़ित कहां जाए और कहां अपने लिए न्याय की उम्मीद लगाए।

आवेदक ने एक बार फिर से न्याय ना मिलने के कारण कलेक्टर महोदय से जनदर्शन में गुहार लगाई है, और अपने पुराने मामले को अवगत कराते हुए बताया है कि सार्वजनिक रूप से प्रयोग होने वाले रास्ते को एक शासकीय कर्मचारी द्वारा अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करते हुए कब्जा कर लिया गया है तथा आवेदक के आने और जान का रास्ता जो इस मार्ग से होकर गुजरता था को बंद कर दिया है। कई बार भी इस संबंध में आवेदन देने जांच होने और तो और कई बार आदेश आने के बावजूद भी इस प्रकरण का आज पर्यंत तक कोई निराकरण नहीं हो पाया यहां तक की इस मामले पर स्टे आवेदक द्वारा लिया जा चुका था बावजूद इसके आवेदक आज भी अपने निस्तार की भूमि के लिए अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। आज तक इस मामले के चलते हुए लंबित छोड़ कई अधिकारी आए और गए लेकिन निराकरण करने वाला कोई भी अधिकारी आज तक उस कुर्सी पर नहीं बैठा है। शासन और सत्ता के दबाव में आकर अधिकारी और कर्मचारी सच को जानते हुए भी अपना मुंह बंद कर लेते हैं और उचित निराकरण नहीं कर पाते हैं। आवेदक ने इस बारे में हमें बताया कि राजनीतिक दबाव और पैसे की ताकत के आगे कोई भी अधिकारी कर्मचारी आज पर्यंत तक व्यक्ति के निस्तार वाली भूमि से अनधिकृत तौर पर सरकारी कर्मचारियों द्वारा कब्जा किए गए को आज तक कब्जा मुक्त नहीं कराया जा सका है l

अभी तक का मामला काफी छोटा सा है लेकिन इस छोटे से मामले पर भी पैसे और राजनीति के दबाव के कारण कोई भी निराकरण नहीं हो पाया है आपको बता दे की आवेदक के निजी भूमि से लगे हुए विस्तार की भूमि या निकास के लिए प्रयुक्त होने वाला रास्ता जो कि नक्शे में भी कटा हुआ है, उसे आज तक मानचित्र के अलावा धरातल पर लाने में राजस्व के अधिकारी पूरी तरह से विफल नजर आ रहे हैं। अभी तक वर्षों से केवल एक ही मांग कर रहा है की नक्शे में कटे हुए उसके घर से बाहर जाने के लिए जो रास्ता है उसे केवल कब्जा मुक्त किया जाए और उसके निस्तार के लिए साधन दिया जाए जो कि न्याय संगत और राजस्व के रिकॉर्ड में भी है बाबजूद इसके आवेदक आज भी दर-दर भटकने को मजबूर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *