वन मंडल अधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा में ,मनरेगा का बना तालाब के साथ लाखो का अर्दन डैम


सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर। मिली प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय काम काजों मे अनियमितता और भ्रष्टाचार तो आये दिन देखने सुनने को मिलती ही रहती है। सूत्रों द्वारा बताया गया रेंजर महोदय राजनीतिक नेताओं से अच्छे ताल्लुक बना कर रखे हुए हैं। इसलिए कई बार विवादों में आने के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई ना ही जांच जब भी मीडिया में इनकी खबर आई है। वन मंडल अधिकारी का कहना है। मीडिया को बदनाम करते हुए कहते हैं मेरे से रुपया पैसा मांगा जा रहा है पैसा ना देने के कारण मेरी झूठी खबर चलाया गया है मीडिया कर्मी होने के नाते इस तरह का अगर वह आरोप लगा रहे हैं तो पूरे सच्चाई और सबूत के साथ बताएं क्योंकि अधिकारी महोदय पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। अब देखना होगा शासन प्रशासन इनकी जांच कब करवाती है का पर मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल के अधिकारी भ्रष्टाचार के नींद में इस कदर लीन है कि उन्हें यह भी दिखाई नहीं दिया कि जिस जगह लाखों का डैम बना रहे है वहां पूर्व से ही तालाब बना हुआ था। दरअसल पूरा मामला कोरिया जिले से अलग हुए नवगठित जिला एमसीबी अंतर्गत मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल का है, जहां पूर्व में जल संसाधन विभाग ने 42.87 लाख की लागत राशि से तालाब का निर्माण कराया था। तालाब में पानी का ज्यादा भराव होने से मे? का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, अब
उसी तालाब को वन विभाग ने अलग से लगभग 65 लाख खर्च कर डेम दिया। जानकरी अनुसार बना
मनेन्द्रगढ़ विकास खण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भौता में वर्ष 2013 में जल संसाधन विभाग बैकुंठपुर ने रोजगार गारण्टी योजना से बसकोहा तालाब का निर्माण सेवानिवृत्त एसडीओ जेपी रॉय के देख रेख में कराया था वर्ष 2013 और 2015 दो भाग में कुल 68 लाख 41 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी जिसमे 42 लाख 87 हजार व्यय कर तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब निर्माण पूर्ण होने के मह? दो से तीन वर्ष याने 2019 में मेड का कुछ हिस्सा टूट कर वह गया जिसका नुकसान का आंकलन जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 20 लाख आंका गया था तालाब के मेड को दोबारा बनाने
जल संसाधन विभाग का कोई प्रयास न देख वन विभाग ने उसी तालाब को पुन:नया डेम बनाने कार्य योजना बना गुपचुप तरीके से कार्य शुरू कर दिया खास बात यह है कि जिस तालाब के मेड को ठीक करने में 20 लाख लगते वहां रेंजर और इंजीनियर ने मिलकर लगभग 65 लाख खर्च कर दिए । यही नही पुराने तालाब में लगे पोचिंग पत्थरों का भी दोबारा उपयोग कर वन विभाग के अधिकारी एक बार फिर से लाखों का वारा-न्यारा कर दिए।
इस सम्बंध में जब मनेन्द्रगढ़ वनमंडलाधिकारी लोकनाथ पटेल से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहीं अन्यत्र होने की बात कहीं।
One thought on “क्या रिटायरमेंट से पहले शासन का सारा पैसा ढकार जाना चाहता है मनेंद्रगढ़ का रेंजर सेन…?”