सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र देबाशीष गांगुली जिला प्रमुख । एम.सी.बी/कोरिया
एम.सी.बी.। जल संसाधन विभाग इन दिनों भारी सुर्खियां बटोरते नज़र आ रहा है, मगर इसके कारण जल संसाधन विभाग के अच्छे कार्य नहीं, अपने अनियमितताओं एवं गैरज़िम्मेदाराना कार्यशैली के वजह से खबरों में जल संसाधन विभाग के किस्से गूंजते नज़र आ रहे हैं।
पहले खड़गवां के सांवला जलाशय को ले कर सक्षम अधिकारी पत्रकारों से बातचीत करने से परहेज करते नज़र आए, जहां जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारियों से संपर्क साधने की तमाम कोशिशों के बाद भी उच्च अधिकारियों का ढीठ रवैया ही देखने को मिला, अभी सांवला जलाशय का मामला सुलझा ही नहीं था कि जनता के समक्ष एक नया मामला तूल पकड़ते दिखा, जो कि जनकपुर भरतपुर के डौकी झरिया व्यपवर्तन योजना के तहत जल संसाधन विभाग द्वारा बनवाए गए स्टॉप डैम का था, जहां लगभग सात करोड़ की लागत से निर्मित यह डेम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, जिसको ले कर जल संसाधन विभाग के वर्तमान में पदस्थ जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर एवं जिला कोरिया के मुख्य कार्यपालन अभियंता से उचित जानकारी लेने एवं खबरों के माध्यम से उनसे संपर्क साधने की तमाम कोशिशें की गई, मगर उनका रवैया कुछ इस तरह का नज़र आया जिससे कि इन तमाम मामलों में उनकी संलिप्तता होने पर सवाल खड़े कर दिए, ना तो उनके द्वारा इन समस्त मामलों में कोई वर्ज़न या बाईट दिया गया, ना ही उनके द्वारा किसी तरह की कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई, उच्च अधिकारियों का इस तरह का लापरवाह अंदाज को देखते हुए कहीं ना कहीं इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि या तो ऐसे भ्रष्टाचार भरे मामलों में सक्षम अधिकारी खुद सम्मिलित हैं या तो फिर उन्हें किसी तरह का राजनैतिक संरक्षण दिया जा रहा, जिससे उनके मन का डर मत ही खत्म हो गया हो और जनता-जनार्दन के हित के लिए सरकार के संपत्ति का दुरूपयोग कर मोटी मलाई का स्वाद उनके साथ और भी लोग ले रहे हैं, अगर ये तमाम बातें असत्य हैं, जनता द्वारा जल संसाधन विभाग पर लगाए जा रहे ये सारे आरोप बेबुनियादी हैं फिर क्यों शासन द्वारा नियुक्त जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर एवं जिला कोरिया क्षेत्र के जल संसाधन विभाग के मुखिया जवाबों के सिलसिलों से भागते मुंह छुपाते नज़र आ रहे हैं?
क्या है डौकी झरिया व्यपवर्तन योजना के संबंध में पूरा मामला?
एमसीबी जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा सात करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया डौकी झरिया व्यपर्वतन योजना के तहत बने स्टॉप डैम जो महज निर्माण के 9 माह में इसके गुवक्ता की पोल खुल गई। इस डेम का निर्माण कार्य ठेकेदार के द्वारा किया तो गया मगर अधीकारियो की लापरवाही से महज कुछ दिनों में इस निर्माण कार्य की पोल खुल गई और इसमें दरारे साफ देखने को मिल रही है सरकार के द्वारा किसानों को पानी देने के लिये कराया था डेम का निर्माण जिससे किसान कई फसलों का मील सके लाभ। लेकिन किसानों का सपना हुआ अधूरा।
जनकपुर भरतपुर विधानसभा के ग्राम चुटकी में जल संसाधन विभाग के द्वारा
डौकीझरिया स्टॉप डेम के कार्य किया जा रहा । डेम का कार्य अभी पूरा हुआ ही नही और मात्र 9 महीना के अंदर ही उक्त स्टॉप डेम के निर्माण की सच्चाई खुल गई उक्त निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन सामग्रियों का भरपूर उपयोग किया गया साथ ही जंगली की गिट्टी आदि के प्रयोग से उक्त कार्य को पूर्ण कर दिया गया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से शासन के पैसे का किस तरह से बंदरबांट किस तरह किया गया है और गरीब किसानों को किस कदर ठगा गया, किसानों को उक्त बांध का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा ।
करोड़ों रुपए खर्च स्टाप डेम तैयार किए गए। स्टाप डेम में दरारे आ गई है, अल्प समय में ही इन स्टापडेम का क्षतिग्रस्त हो जाना इंजीनियरों के कार्यों में गुणवत्ता की पोल खोल रहा हैं। जिसमें जलसंसाधन द्वारा सात करोड़ों रुपए खर्च कर स्टापडेम का निर्माण कराया गया विडम्बना यह भी है कि इस स्टाप डेम से करोड़ो रुपए खर्च होने के बाद भी पानी किसानों को नहीं मिला। किसानों को एक बूंद पानी नहीं मिला पा रहा । नहर का काम भी अधूरा छोड़ दिया गया । ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी स्टॉप डैम बनाए, उनमें से अधिकांश का निर्माण इतना घटिया तरीके से किया गया था कि वे बनने के कुछ माह बाद ही क्षतिग्रस्त हो गए। जिस पानी को रोकने के लिए डेम बनाए गए थे, अधिकांश डेम उसी पानी में बह गए। इनका निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत को मिटाने और लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को बढ़ाने व किसानों के लिए किया गया था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जहां स्टाप डेम का निर्माण हुआ था, उन्हीं क्षेत्रों में पानी की किल्लत भी गहरा गई है। अभी भी बहुत से स्टाप डेम छतिग्रस्त हैं बहुत से डैम ऐसे हैं, जो निर्माण के बाद पहली बारिश का भी सामना नहीं कर पाए। बारिश के दौरान जैसे ही डेम में पानी भरा, वैसे ही पानी के दबाव के चलते डेम की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई। इस तरह से स्टाप डेम का फूट जाना निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को बयां करता है एवं भ्रष्ट लोगो की संलिप्तता उजागर करता है।
क्या कहना है ग्रामीणों का इस पूरे मामले में?
ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बने स्टापडेम में मौजूदा समय में पानी नहीं बचा है। जबकि इनका निर्माण पानी को रोकने के लिए किया जाता है। वही 7 करोड़ की लागत से बनाए गए डैम की जानकारी देते हुए एच एस गुप्ता अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग जनकपुर के द्वारा बताया गया कि जो डैम बनाया गया है उसका 10 साल तक बनाए गए डैम का मेंटेनेंस रहता है उसे अभी सुधर वा दिया गया है क्योंकि डैम के अगल-बगल मिट्टी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से डैम के किनारे पर दरार आ गया था उसे सुधर वाया गया और कॉन्टैक्टर जो डैम बनाया है उसका 10 साल का कॉन्ट्रैक्ट रहता है 10 साल के अंदर उस में कुछ भी होता है उसे कॉन्टैक्टर के द्वारा ही सुधर कार्य किया जाता है और अभी सुधर वा दिया गया है
करोड़ों की लागत से बनाए गए डैम में गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर भी कांट्रेक्टर की तारीफ करते नजर आ रहे हैं ऐसा लगता है कि कांट्रेक्टर इन अधिकारियों के रिश्तेदार हैं।
जल संसाधन विभाग अब सुर्खियों में, सांवला जलाशय के बाद अब डौकी झरिया व्यपर्वतन का स्टॉप डेम का मामला, सात करोड़ के डेम में दरार, उच्च अधिकारी जवाबों से भागते हुए…
