सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र देबाशीष गांगुली जिला प्रमुख । एम.सी.बी./ कोरिया सिरियाखोह जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के ग्राम सिरियाखोह में जल संसाधन विभाग द्वारा कुल 4 करोड़ लागत से बनाए गए डैम एवं नहर निर्माण कार्य जो कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं, जहां निर्माण इतना बदतर हुआ है कि किसानों को नहर से पानी का लाभ ही नहीं मिल पा रहा, कहीं नहर कई जगह टूटा नज़र आया तो नहर के कई हिस्सों में आई दरारों की वजह से पानी की लीकेज देखने को मिली, और तो और निर्माण कार्य में इतनी भारी अनियमितताओं को देखा गया जिसके वजह से डैम के बीचों बीच लोहे की छड़ें बाहर की ओर निकलते नज़र आई और लीकेज भी दिखा, जिस पर ग्रामीणों द्वारा जल संसाधन विभाग पर दोषारोपण करते हुए इस निर्माण कार्य को सम्पूर्ण रूप से असफल करार दिया है, जिस तरह का बद से बदतर निर्माण कार्य खंडवा के सावला जलाशय एवं जनकपुर भरतपुर के डौकीझरिया में नज़र आया, कुछ इसी तरह का भ्रष्टाचार से लिफ्ट कार्य ग्राम सिरियाखोह के इस डैम एवं नहर निर्माण कार्य में भी दिखा, जल संसाधन विभाग से संबंधित इस तरह के मामलों में जब उच्च अधिकारियों द्वारा जानकारी मांगने एवं बातचीत करने का प्रयास किया जाता है जिसके बाद भ्रष्टाचार से लिप्त ऐसे कार्यों पर अधिकारियों द्वारा चुप्पी साध ली जाती है और सवालों से बचने के तमाम प्रयास किए जाते हैं जिसके बाद कहीं ना कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे भ्रष्टाचार से भरे कार्यों में क्या पूरा का पूरा विभाग ही सम्मिलित है?
ग्राम सिरियाखोह से लगा हुआ ग्राम कोथारी है, जहां तक यह शहर गुज़रती है, बात करें किसानों की तो दोनों गांव को मिला कर कुल 150-200 किसानों को नियमानुसार, इस योजना के अंतर्गत बनाए गए नहर से खेती किसानी में लाभ मिलना तो चाहिए मगर ऐसे निर्माण कार्यों को देखते हुए इसी बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि किसानों को लाभ तो नहीं मगर हानी भरपूर मिल रही है, जिससे हताश निराश एवं नाराज़ ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग को इसका पूरा पुरी कसूरवार ठहराते हुए अपनी तकलीफ़ों को बयां किया है, जिसमें देखने वाली बात यह है कि ऐसे गैर ज़िम्मेदार अधिकारियों की पदस्थापना के पीछे का उद्देश्य आखिर क्या है, और ग्रामीणों के अधिकारों का हनन करने वाले ऐसे लापरवाह भ्रष्ट अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही की जाएगी?
जल संसाधन विभाग द्वारा कराए गए निर्माण कार्य चढ़े भ्रष्टाचार की भेंट? लगभग 100-150 किसानों में त्राहि-त्राहि सा मंज़र, जिसकी सूद लेने वाला कोई नज़र नहीं आया?
