सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र देबाशीष गांगुली (जिला ब्यूरो एमसीबी/कोरिया) बंजारीडांड। जनपद पंचायत खंडवा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बंजारीडांड के चट्टीपारा में मनरेगा योजना के तहत भवन निर्माण कार्य कुल 19 लाख की लागत से ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2019-20 के दौरान बनवाया गया था, जहां निर्माण एजेंसी खुद ग्राम पंचायत बंजारीडांड थी, सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस सम्पूर्ण निर्माण कार्य में इस हद तक का भ्रष्टाचार सामने देखने को मिल रहा है जहां निर्माण के दौरान निम्न स्तर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया साथ ही साथ, यहां के ग्रामीणों ने बताया कि भवन निर्माण होने के कुछ ही दिनों के भीतर भवन की जो दीवारें थी और कॉलम से लेकर बीम एवं नींव तक में घटिया से घटिया मटेरियल इस्तेमाल करने की वजह से बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं, और तो और इस भवन के पीछे बनाई गई चढ़ने उतरने के लिए जो सीमेंटेड सीढ़ियों का निर्माण किया गया था उसमें भी भारी अनियमितता देखने को मिल रही है। भवन की जमीन फर्श भी कई फीट तक धंस चुकी है और तो और भवन के उपर ढंके हुए छत के शीटें क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। मामला यहीं नहीं थमता, निर्माण कार्य के संबंध में सूचना पटल पर जब नज़र गई, तब सूचना पटल को भी ग्रामीणों के बताए अनुसार बड़े ही चालाकी से तोड़ कर गिरा दिया गया और क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिससे कि किए गए निर्माण कार्य में कुल लागत एवं अन्य जानकारियां ना देखी जा सकें। ग्रामीणों द्वारा जानकारियां कुछ ऐसी ही मिली कि मात्र कुछ माह पुर्व ही इस भवन में अज्ञात चोरों द्वारा धावा बोला गया और चोरी की गई, जहां चोरों ने गेट दरवाजों के साथ साथ बिजली वाइरिंग से ले कर इलेक्ट्रिक बोर्ड एवं कई अन्य कीमती सामानों को चोरी कर शासन प्रशासन के द्वारा आवंटित राशि से निर्मित इस शासकीय भवन को छति पहुंचाया, जिसकी सुध लेने वाला ना तो कोई जन प्रतिनिधि ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी नज़र आया, किसी ने इस मामले में किसी तरह की कोई गंभीरता नहीं जताई, जिसका कारण अभी तक अस्पष्ट ही है या फिर क्या यह कहना सही होगा कि इन समस्त जन प्रतिनिधियों एवं इस निर्माण कार्य से संबंधित अधिकारियों के मनोभावों से इस पूरे रचे रचाए भ्रष्टाचार के खेल में सबने बंदरबांट कर अपना पल्ला झाड़ते हुए किनारे हो गए? इस पूरे भ्रष्टाचार के खेल में शासन प्रशासन को आगे बढ़ते हुए इसका भौतिक सत्यापन कर इसके तह तक जाने की ज़रूरत है
कहीं ना कहीं किए गए भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की मनोस्थिति ना केवल ग्राम पंचायत सरपंच उपसरपंच एवं सचिव की देखी जा सकती है, मगर कहीं ना कहीं उच्च अधिकारियों की मिलीभगत का भी अंदाज़ा इस निम्न स्तर के निर्माण कार्य के रूप में देखा जा सकता है, जहां ना ही जांच ना ही कोई सख्त कार्यवाही, बंदरबांट में किस किस की मिलीभगत से इस बड़े स्तर के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है यह तो अब एक बड़ी जांच का विषय है, जांच होगा भी या फिर मोटे कमीशन का खेल निरंतर जारी रहेगा और क्या यह मामला ठंडे बस्ते में चले जाएगा, यह आगे देखना बाकी है?
एक तरफ़ भ्रष्टाचार कर शासन प्रशासन को लगाया चूना, तो दूसरी तरफ चोरों ने भी किया अपना हाथ साफ़, सरकारी संपत्ति या अपनी जेबें भरने का कोई सर्वोत्तम साधन यह भवन?
