खबर से बौखलाई बीजेपी मंडल महामंत्री सत्या दुबे साम, दाम, दंड, भेद इस्तेमाल कर बचाने का प्रयास कर रही अपनी साख…

डरती हैं, डराती हैं,धमकाती हैं और राजनीति भी करती हैं…?

फोटो खिंचवाती हैं मैडम नेताओं के साथ उसी का धाक जमाती हैं….?

नेताओं की धमकी देने के बाद भी नहीं बनी बात हो करने चली आई मुलाकात…?

फोटो दिखाने से भी जब ना बने बात तो धारण कर लो साष्टांग नमस्कार वाली मुद्रा…?

क्या बीजेपी की इससे छवि खराब नहीं हो रही है…?

क्या बीजेपी और मंत्री महोदया को पता है कि उनका नाम कैसे और कहां कौन उपयोग करके अपना उल्लू सीधा कर रहा है

क्या बीजेपी और मंत्री महोदया को जानकारी नहीं थी इस बात की..?

क्या केवल मंडल महामंत्री होना ही दादागिरी का लाइसेंस है…?

क्या भैयाथान मंडल अध्यक्ष को भी इस बात की नहीं है जानकारी या दे रहे हैं अपना सहयोग….?

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सूरजपुर कुछ दिन पूर्व में प्रकाशित एक खबर जिसमें मधुसुदन दुबे के द्वारा अपने भाई के जमीन उनके खाते में आने की शिकायत जनार्दन दुबे के पुत्र प्रभात दुबे के द्वारा जनदर्शन के माध्यम से कलेक्टर सूरजपुर से की गई थी,जिसकी खबर प्रकाशित होने के बाद तिलमिलाई सत्या दुबे ने बौखलाहट में हिंद स्वराष्ट्र की संपादक महोदया को फोन करके अपनी बौखलाहट दिखा दिया और बौखलाहट में संपादक पर आरोप लगाते हुए उनसे ही सवाल जवाब करने लगी “आप लोग पत्रकार है तो कुछ भी थोड़ी छाप देंगे हम खाना खाते रहेंगे तो उसको भी छाप देंगे क्या?” पर मैडम को कौन बताए कि आवेदक द्वारा उनके खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में शिकायत की है तो न्यूज़ छपना तो लाजमी है। धमकाने वाले अंदाज में मैडम ने अपनी पावर का धौंस दिखाते हुए बताया कि वो मैडम यानी मंत्री महोदया लक्ष्मी रजवाड़े के साथ रहती है। पर सवाल यह उठता है कि यदि मंत्री महोदया को इस बात की जानकारी होगी कि उनके कार्यकर्ता द्वारा किसी गरीब का हक मार कर उसकी जमीन लूटी जा रही है तो क्या वह उसका साथ देंगी..? और सत्या दुबे को पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखा देंगी.??  

मंत्री नेताओं के साथ फोटो के लिए उत्सुक और तत्पर रहने वाली महोदया (सूत्र) के कुछ नेताओं के साथ की तस्वीरें

 न्यूज को डिलीट करने बनाने लगी दबाव जिसपर मना करने पर मंडल महामंत्री भैयाथान महोदया सत्या दुबे के द्वारा अपना पक्ष रहने के लिए मिलने और अपने ससुर मधुसुदन दुबे का बयान प्रकाशित करने की बात कहीं और अगले दिन वो अपने साथियों के साथ अम्बिकापुर आई और अपना पक्ष रखने के बहाने साम, दाम, दंड, भेद सब का उपयोग करते हुए पहले निवेदन किया, फिर दबाव बनाया काम न बनने की स्थिति में पत्रकार को खरीदने की कोशिश करने लगी। 

सत्या दुबे द्वारा अपने ससुर मधुसुदन दुबे का बयान दिलवाया गया जिसपर खबर का प्रकाशन किया गया। आपको बता दे कि बयान में मधुसूदन दुबे द्वारा अपने भाई की शादी न होने और जनार्दन दुबे के पुत्रों को पहचानने से इनकार कर दिया गया जिस पर विवाद की स्थिति पर होने पर अपने सूत्रों से ज्ञात हुआ कि सत्या दुबे के द्वारा और अपने पुत्र के साथ मिलकर हमारे बारे में अफवाह फैलाया जा रहा है की मीडिया गर्मी द्वारा गलत तरीके से सवाल पूछा गया और उनके ससुर द्वारा दिए गए बयान को तोड़ मरोड़ कर गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। आपको बता दे कि इन सब मामले से सत्य दुबे काफी डरी हुई है क्योंकि सूत्र बताते हैं कि जनार्दन दुबे की जमीन मधुसूदन दुबे के नाम चढ़ने में पूरा खेल सत्या दुबे का ही था उनके द्वारा ही पद और पावर का दुरुपयोग करते हुए यह कार्य करवाया गया था और मामला खुलने से उन पर कारवाई होने का खतरा साफ तौर पर मंडरा रहा है जिससे काफी डरी हुई है और इस मामले को दबाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए राजी है। सत्या दुबे अपने ससुर के इकलौती बहु हैं और लोग बताते हैं कि यह षडयंत्र उनका ही था कि जमीन अपने ससुर के नाम करवा दिया जाए और बाद में स्वत: ही जमीन उनके पति के नाम आ जाता लेकिन सत्या दुबे की यह साजिश कामयाब होती उससे पहले पीड़ित के द्वारा कलेक्टर से गुहार लगाई जा चुकी है। कुछ लोग अपनी पहचान उजागर ना करने के शर्त पर हमे बताते हैं कि सत्या दुबे की राजनीति ऊंची दुकान फीकी पकवान जैसी है क्योंकि वो बड़े नेता,मंत्रियों के साथ फोटो जरूर खिंचवाती हैं लेकिन उनका राजनीतिक अस्तित्व शून्य के समान है, हालांकि सूत्र तो बहुत सारी चीजों का उल्लेख करते हैं पर जो मुख्य बातें हैं कि मैडम को अक्सर फ्री सेवा के तहत दूसरों के कार बाइक में घूम कर राजनीति करने का शौक है। सूत्र बताते हैं कि अपने लालच को अंजाम देने के लिए सत्या दुबे ने पार्टी में मंडल महामंत्री और मंत्री महोदया के साथ वाले फोटो का उपयोग करते हुए यह साजिश रची थी, उन्हें अपने ससुर के सम्मान और प्रतिष्ठा की कोई परवाह नहीं थी और ना है बस उन्हें केवल जमीन हथियाना था, जिसके लिए उनके द्वारा यह कृत्य किया गया था। खैर हम सूत्रों से प्राप्त सूचना की पुष्टि नहीं करते यह देखने का विषय होगा कि सूत्रों की बातों में कितना सच्चाई है।

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