सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सिरसी, सूरजपुर के ग्राम सिरसी में इतना भ्रष्टाचार है कि अगर समाचार लिखने तो 1000 पेज वाला अखबार भी शायद कम पड़ने लगेगा,इस गांव की खासियत यह है कि यहां आए दिन कई भ्रष्टाचार के मामले आ रहे हैं और जिन्हें प्रकाशित करते करते हम गिनती भी भूल जाएं तब भी यहां के मामले खत्म नहीं होंगे।
नशे के लिए प्रसिद्द, कोरेक्स,स्पाइस्मो टेबलेट जैसे नशीले चीजों के अगर आप शौखिन हैं तो सिरसी जाने से आपके नशे की प्यास बुझ जाएगी,क्योंकि यहां हाल फिलहाल में ही आबकारी के तेज तर्रार अधिकारी अनिल मित्तल के कुशल नेतृत्व में सिरसी के नशेड़ी किंग को गिरफ्तार किया गया है,और गांव के सूत्र बताते हैं कि उसे जेल में ले जाकर रोज उसके भाई और दोस्त कोरेक्स की सिरप और स्पाइस्मो टेबलेट दे रहे हैं क्योंकि उस बेचारे को इसके बिना रहने की आदत नहीं है। नशे के व्यापार के चलते यह कहना गलत नहीं होगा कि जब हो कोरेक्स की तलब एक दिन तो गुजरों हमारे सिरसी में।
डाबरी घोटाला, यहां शासन को चुना कैसे लगाया जाता है शासन के रुपयों को कैसे डकारा जाता है और जब आपकी गलती पकड़ी जाए तो अपना एटीट्यूड कैसे दिखाना है एक पत्रकार को कैसे न्यूज लगाने से मना करना है यह सब यहां के लोग तो छोड़िए अधिकारी भी जनाते हैं ऐसा ही एक मामला है रामावतार पिता कल्पू का जिसके लिए डाबरी निर्माण का काम किया जा रहा था और महज थोड़ी सी लीपापोती करके शासन के पैसे को डाकर दिया गया और उसके बाद इसको समतल करके इसके ऊपर खेती भी कर दी गई।इस संबंध में जब हमने बात की तो हितग्राही के घर से जवाब आया कि सीईओ साहब के मौखिक आदेश पर इस काम को बंद कर दिया गया। जब इस विषय पर तात्कालिक तकनीकी सहायक से बात की तो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाले मुहावरे को चरितार्थ करते हुए तात्कालिक तकनीकी सहायक मधुमति सिंह परस्ते ने केवल जिओ टैग के बारे में पूछने मात्र से बताया कि मैं नहीं जानती अगर उन लोगों ने अब उस डाबरी को समतल करके खेत बना दिया होगा,जबकि हमने तो इस विषय पर कुछ पूछा तक नहीं था। आगे जब इस संबंध में मधुमति सिंह परस्ते ने बताया कि काम ठीक से नहीं चल रहा था इस लिए उसे बंद कर दिया गया तो शासन के रिकार्ड में उसे पूरा क्यों दिखाया जा रहा है यह सवालिया निशान है जिसका जवाब काबिल होने के बाद भी तकनीकी सहायक के पास नहीं है।जब मधुमति सिंह परस्ते से पूछा गया कि क्या इस गलत कार्य की जानकारी अपने अधिकारियों को लिखित तौर पर दी गई थी तो होनहार तेज तर्रार तकनीकी सहायक मधुमति सिंह परस्ते ने बताया कि नहीं दी गई थी। अगर गलत काम के चलते काम को बंद कर दिया गया तो फिर इस बात की जानकारी उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं दी गई क्या तकनीकी सहायक मधुमती सिंह परस्ते खुद को अपने उच्च अधिकारियों से भी सर्वे सर्वा समझती हैं या फिर यह घोटाला उनकी मिली जुली नीति का प्रतीक था बाद में बात खुल जाने के दर से इसे बंद कर दिया गया यह तो एक सवाल है जिसका जवाब निष्पक्ष रूप से जांच करवाने से सामने आ जाएगा। अब सोचने वाली बात यह है कि मधुमति सिंह परस्ते तकनीकी सहायक को फोन करके इस संबंध में जानकारी ली गई थी और काबिल तेज तर्रार होनहार वरिष्ठ तकनीकी सहायक अगर भ्रष्टाचार के शहद में रोटी डूबा डूबा कर नहीं खाई है तो फिर हमारे द्वारा सिर्फ फोन करने मात्र से उन्हें क्या परेशानी होने लगी उन्होंने अपने एक मित्र से हमें फोन करवाया और उनके मित्र ने हमसे पूछा कि मामला क्या है इस संबंध में हमने तकनीकी सहायक मधुमती सिंह के मित्र को बताया कि आपको अगर मामला ही नहीं पता है तो अपने क्लासमेट से ही पूछ लीजिए, जिसके जवाब में मधुमति सिंह के मित्र ने बताया कि वह मेरे साथ पढ़ी है और उसने मुझे फोन करके सहायता मांगी थी की कोई पत्रकार मुझे परेशान कर रहा है अब यदि किसी को फोन करना भी अपराध है और उनसे जानकारी लेना और भी बड़ा अपराध है तो भ्रष्टाचार करना बहुत पुन्य का काम होगा, इस विषय पर हमें बोला गया कि ऐसे 36 मामले आते हैं अगर एक मामला छोड़ दिया जाए तो उसे कुछ बिगाड़ नहीं जाता है हालांकि मधुमति सिंह परस्ते गलत नहीं होती तो उन्हें फोन करवाने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि जिस डबरी की बात हम कर रहे हैं उसे डबरी को समतल करके उसे पर धान की फसल लगाई जा चुकी है और यह धन की फसल शासन के राशि के दोहन की कहानी को अपने लहलते अंदाज में सुन रहा है, क्या जिले में कोई ऐसा अधिकारी नहीं है जो ऐसे भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई कर सके..?
प्रधानमंत्री आवास योजना घोटाला जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया था ग्राम पंचायत सिरसी में घोटालों का अंबार लगा हुआ है, और सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री आवास योजना जिसके तहत अगर गरीब परिवार के सर पर छत लाने का सपना जो डबल इंजन के सरकार की योजना है उसका भी बंटा धार इस गांव में किया गया है। बिना बने अधूरे पड़े खंडहर घरों को पूरा बता कर अपने रिकॉड को और पुख्ता किया गया है। हालांकि हिंद स्वराष्ट्र न्यूजपेपर में इस प्रकरण के प्रकाशन के बाद इस पर इस पर प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए कारण बताओं नोटिस जारी किया और प्रशासन की कार्यवाही अभी भी जारी है।
व्यक्ति एक और सरकारी आवास दो रोजगार सहायक नईम अंसारी ने अपने नाम पर और अपनी पत्नी के नाम पर अलग अलग दो आवास स्वीकृत करा लिए और एक आवास बना कर एक का पैसा डाकर गए जिसके संबंध में जानकारी मिलते ही हिंद स्वराष्ट्र समाचारपत्र ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया और जनपद द्वारा इस मामले में रोजगार सहायक नईम अंसारी से 1लाख 40 हजार के रिकवरी का आदेश भी दिया है,जिसमें कुछ राशि रोजगार सहायक नईम अंसारी ने शासन के खाते में जमा भी किए हैं और बाकी की राशि कुछ दिनों में करने के लिए अपने गोपनीय खजाने से पैसे निकल कर शासन के खाते में जमा करने की तैयारी में हैं। लेकिन इतने बड़े कुकृत्य के बावजूद भी नईम अंसारी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध नहीं किया गया है यह सोचने का विषय है क्योंकि जब यह सिद्ध हो चुका है कि नईम अंसारी ने शासन की आंखों में धूल झोंक कर अपने और अपनी पत्नी के नाम पर दो प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत करवा कर उनके राशि का गबन कर लिया गया है तो इस संबंध में अपराध भी पंजीबद्ध होना चाहिए साथ ही तात्कालिक तकनीकी सहायक,ब्लॉक कॉर्डिनेटर,आवास मित्र,रोजगार सहायक को भी इस मामले में बक्शा नहीं जाना चाहिए,क्योंकि इन सब की भूमिका भी संदिग्ध है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।इस मामले में शासन को गलत जानकारी प्रस्तुत कर शासकीय राशि का बंदर बांट कर दिया गया और मनमाने ढंग से आवास स्वीकृत करा लिया गया। सोचने वाली बात है कई गरीब परिवार ऐसे हैं कि जिन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल पाया है और कुछ लोग हैं जो दो दो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ले रहे हैं।
और मामलों को भी जल्द साक्ष्यों के साथ किया जाएगा उजागर कई मामले के उजागर होने तो अभी भी बाकी हैं जिनके खुलासे से और भी लोगों के घेरे में आने की पूरी संभावना है,क्योंकि शासन को ऐसे लोग चुना लगा रहे हैं जो शायद सही से अपना नाम तक ना लिख पाए,लेकिन अपने गॉडफादर के पदचिह्नों पर चलते हुए शासन की राशि को डकार जा रहे हैं।