सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र बलरामपुर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत शिवपुर में कुछ दिनों पहले रेड मारने के नाम पर आबकारी पुलिस के द्वारा विश्वनाथ चौधरी और गिरवर प्रजापति को घर से उठकर खुखड़ी जंगल में ले जाकर अगुवा कर उन दोनो से प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपए वशुल लिए,जिसकी शिकायत आईजी सरगुजा ,कलेक्टर आदि उच्च अधिकारियों से की गई है। जब इस मामले पर थाना को सूचित किया गया तो राजपुर में थाना प्रभारी के रूप में बैठे अखिलेश सिंह के आवेदक से आवेदन तो ले लिया लेकिन इस मामले पर अपराध दर्ज नहीं किया, और ना ही आवेदन की पावती दी गई। जब आवेदक के पूछने पर की आप अपराध दर्ज नहीं कर रहे हैं तो मुझे न्याय कैसे मिलेगा और इस मामले में क्या कार्यवाही हो रही है तो 2 स्टार थाना प्रभारी अखिलेश सिंह ने अपने वर्दी का घमंड दिखाते हुए बोला जाके आईजी और कलेक्टर से पूछो और साथ में मामले पर प्रेस से दूर रहने की सलाह भी दी प्रेस से दूर रहने की सलाह आवेदक को देना कहीं ना कहीं अपनी चोरी और नाकामयाबी छुपाने का बहाना हो सकता है ,ऐसे में सवाल उठता है की बीना अपराध दर्ज किए आवेदक को कैसे न्याय मिलेगा..? क्या पोलिस रसूखदारों के लिए है बस..? क्या गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को न्याय केवल किताबों पर मिलेगा वास्तविक जीवन में नही..? ये सारे सवाल केवल अखिलेश सिंह के बेतुके बातों से प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने अंत में आवेदक को यह भी कहा की जो महिला स्टाफ एफआईआर लिखती हैं वो अभी हैं नही।
क्या अंगूठाछाप हैं प्रभारी अखिलेश सिंह..?
आवेदक को बुलाकर यह कहना की को महिला एफआईआर लिखती हैं वो हैं नहीं वो छूटी में हैं तो आवेदक को बेवजह थाने बुलाने की क्या जरूरत थी..? जब महिला स्टाफ ही थाने में एफआईआर लिखती हैं तो थाना प्रभारी के पद में बैठे अखिलेश सिंह किस चीज के लिए हर महीने सैलरी ले रहे हैं..? थाने में केवल एक ही स्टाफ अपराध दर्ज कर सकता है यह बात समझ से परे है।
आबकारी अधिकारी और उनके लोग अभी भी गिरफ्त से बाहर क्यों..?
जांच के नाम पर लगभग एक महीने से आवेदक से आवेदक को भटका रहे राजपुर थाना प्रभारी यह बताने में असमर्थ हैं की इनपर कार्यवाही कब तक होगी,और प्रार्थी को न्याय कब तक मिलेगा।राजपुर थाना प्रभारी के घूमने भरे अंदाज और अड़ियल रवैए के कारण अबतक आवेदक को निराशा ही हाथ लगी है और आवेदक दर बदर भटक रहा है।