सच सामने आने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी क्यों नही उठा रहे कोई कदम,कहीं मामले को दबाने की तो नही हो रही चाल..?

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र विशेष संवाददाता बलरामपुर गैना स्कूल में अराजकता के बारे में आए दिन खबरें प्रकाशित हो रही हैं वहां के प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ मुख्यमंत्री तक शिकायत हो चुकीं है बाबजूद इसके प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ अबतक किसी भी प्रकार की कार्यवाही सुनिश्चित नही हो पाई है।

जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच के बाद दिया था कार्यवाही करने का बयान,ममला स्पष्ट लेकिन महिलांगे मौन

पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा था कि यदि कल्पना जायसवाल के द्वारा बीएड रेगुलर किया गया होगा और स्कूल में भी सेवानाएं दी गई हैं तो यह गलत है और जांच में यह पाए जाने पर संबंधित संविदा शिक्षिका पर कार्यवाही की जाएगी लेकिन मीडिया में कल्पना जायसवाल का बीएड का रेगुलर रिजल्ट आ चुका है बाबजूद इसके अबतक जिला शिक्षा अधिकारी का पक्ष समझ से परे है। जिला शिक्षा अधिकारी मामले में लीपापोती कर रहे हैं या नहीं यह आम जनता को अच्छे से समझ आ रहा है,क्योंकि सच सामने होने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी अपने मौन अवस्था को बनाएं हुए हैं,और मीडिया में बयान देने के बाद भी मौन साधे हुए हैं।

क्या स्वयं की पुत्रियों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से से प्रभारी प्राचार्य ने नियमों रक्खा ताक पर..?

जब संविदा शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया का पहला नियम ही यह था कि आवेदकों को बीएड की परीक्षा पास होनी चाहिए थी लेकिन कल्पना जायसवाल अध्यनरत थीं तो उनकी नियुक्ति किस आधार पर हुई..?

एक व्यक्ति एक समय पर दो अलग अलग जगह कैसे उपस्थित हो सकता है..?

जब कल्पना जायसवाल बीएड रेगुलर कर रही थी तो वह स्कूल में अध्यन कार्य कैसे करा सकती थीं..?

उनकी नियुक्ति किस आधार के तहत किया गया है..?

आखिर नियमों को ताक पर रख कर नियुक्ति कैसे हुई..?

अब चूंकि मामला स्पष्ट है तो जिला शिक्षा अधिकारी कोई कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं..?

अगर मामले में साक्ष्यों के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी समझते हैं की गैना स्कूल में किसी भी प्रकार की समस्या नही हैं तो लग रहे आरोपों का खण्डन क्यों नही कर रहे हैं।

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