सिंधू स्वाभीमान समाचारपत्र विशेष संवाददाता बलरामपुर
मामला डीपाडीह के एक ऐसे शिक्षक का है जिसे जिले कलेक्टर तक का नाम नहीं तक नही पता है,कलेक्टर का नाम छोड़िए उसे पूछे गए अधिकतर सवालों के जवाब उस शिक्षक ने ना नही पता में ही दिए हैं क्या जब देश में पढ़े लिखे लोगों की कमी नहीं है तो ऐसे में चंद्र प्रकाश पैकरा जैसे अयोग्य लोगों को शिक्षा विभाग में रहने की जरूरत है क्या..? ऐसे लोग जो खुद अब्बा डब्बा जब्बा वाले स्थिति में हों वो बच्चों के भविष्य को अंधकार में नही डाल रहे हैं क्या..? आप वीडियो में देख सकते हैं की इस शिक्षक की स्थिति जिसे देख कर प्रतीत होता है की ऐसे व्यक्ति को शिक्षा विभाग में नौकरी पर रखना शासन के पैसों का दोहन और योग्य लोगों के साथ भेद भाव करना है।
*खबर ना लगाएं पत्रकार इस लिए दिलाता हैं अपने कथित पिता और अन्य लोगों से धमकी*
इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आता है जब एक व्यक्ति महेश्वर पैकरा जो खुद को चंद्र प्रकाश का पिता बता है फोन करके पत्रकारों से अभद्र भाषा में बात करता हैं और अपने दिमाग की गंदगी पत्रकारों की दिखाने की नाकाम कोशिश करता है,लेकिन पत्रकारों के जवाब से मुंह की खाने के बाद अपनी बोलती बंद होता देख अपने अन्य दयानिधानो से मदत मांग कर न्यूज ना लगवाने की सिफारिश करता है,ऐसे व्यक्ति जो शिक्षा विभाग के लिए अभिशाप हैं और जिनको पढ़ना भी ठीक से नहीं आता वो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
जो व्यक्ति सिफारिश करा सकता है उसे यदि इतनी समझ है की किसी की जी हजूरी करके काम कराया जा सकता है उसे अपने काम पर जिस बात की उसे सैलरी मिलती है जिससे उसकी रोजी रोटी चलती है इस काम पर ध्यान देना चाहिए।