जच्चा बच्चा की मौत पर क्यों दही जमाकर बैठे हैं अधिकारी, घर के पड़ोस में चल रहा था अवैध नर्सिंग होम आर. एस. सिंह क्या खाक कर रहे थे जिले की रखवाली..??

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सूरजपुर प्रशान्त पाण्डेय दिनांक 03/04/2023 की सुबह 7 बजे महेंद्र साहू अपनी गर्भवती पुत्री पूजा साहू को सुरक्षित प्रसव के लिए चिकित्सालय सूरजपुर लाते है जहां गर्भवती महिला को भर्ती किए बिना OPD का पर्चा कटाकर 100 बिस्तरीय अस्पाताल में भेज दिया गया जहां 2 दिनों तक महिला की इलाज में उपेक्षा की गई और परिजनों का आरोप है की उनकी पुत्री की देखभाल तक नही की गई। जिससे परेशान होकर दिनांक 04/04/2023 की शाम तक जिला अस्पताल का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए जब अम्बिकापुर लाने की बात करने लगे तो अस्पताल में दो दलाल रूपी नर्स व महिला डाक्टर रश्मी कुमार ने परिजन से मुलाकात कर बताया कि मेरा खुद का सर्व सुविधायुक्त नर्सिंग होम है, जहां सुरक्षित प्रसव करा दूँगी, जहां जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहेंगे इसके बाद पूजा और उसके नवजात के जीवन के सौदागर बने डॉ० और स्टाफ आपस में बात कर कुछ कागज परिजन को दिए और परिजन अपनी पुत्री को लेकर रश्मि कुमार के अस्पताल रश्मि नर्सिंग होम ग्राम तिलसियां पहुचे।

इलाज माफिया ने परिजनों को दिखाया अपना रेट लिस्ट

24 अप्रैल की शाम को रश्मि नर्सिंग होम में ईलाज का दर बताया गया, जिसमें नार्मल डिलवरी का 15 हजार और आपरेशन का 35 से 40 हजार रुपये बताया गया, परिजनों द्वारा 10000 हजार जमा करने के बाद उपचार प्रारंभ किया गया। परीक्षण कर बताया गया कि मां के पेट में बच्चा सुरक्षित है जिसका नार्मल डिलवरी होगा।

पैसों की लालच या किया ड्रामा पहले नॉर्मल डिलीवरी की बात कही बाद में कर दिया ऑपरेशन

5 अप्रैल की सुबह परिजनों को डॉक्टर रश्मि ने बताया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा सहमति देने पर ऑपरेशन किया गया और मृत शिशु होना बताया गया। ऐसे में सवाल उठता है की रश्मि कुमार एक डॉक्टर है या किसी ड्रामा कंपनी की डायरेक्टर आखिर जब सब ठीक था तो बच्चा कैसे मृत हुआ?? यह संभव है या फिर इसमें 35 से 40 हजार का लालच तो छिपा नही था.? क्या 35 से 40 हजार की लालच में रश्मि कुमार के मुंह में लड्डू तो नही फुटा था..?

भू माफिया खनिज माफिया के बाद अब ब्लड माफिया संतोष साहू वो भी शासकीय ब्लड बैंक इंचार्ज

रश्मि ने खून की जरूरत बताई परिजन खुन लेने गए तो ब्लड बैंक इंचार्ज संतोष साहू ने पहले तो खून ना होने की बात कही लेकिन बाद में जब मैडम ने खुद फोन लगाया तो संतोष साहू ने तुरंत खून तुरंत निकाल कर दे दिया। ऐसे में सवाल उठता है की जब o+ ब्लड था ही नही तो मैडम के फोन भर कर देने मात्र से संतोष साहू ने कहां से ब्लड का प्रबंध किया? क्या संतोष साहू भी शासकीय कर्मचारी होते हुए रश्मि सिंह के लिए दलाली का कार्य करते हैं? O+ ब्लड था ही नहीं तो फिर ब्लड कहां से आया और गौर करने की बात यह है कि इसी ब्लड को चढ़ने के बाद मृतिका की हालत खराब हुई थी और उसकी मृत्यु हो गई थी। कही पैसों की लालच में इनके द्वारा ब्लड में भी कोई गड़बड़ी तो नही की गई थी?

क्या इन लोगों का दिल नहीं होता या खुद पर जबतक ना बीते नही पड़ता कोई फर्क

आखिर में बेटी को भी खो चुके महेंद्र साहू को रश्मि कुमार ने यह तक नही बताया की उनकी बेटी इस दुनिया में नहीं रही और ऑपरेशन थिएटर से अपना कीमती मोबाइल लेकर बड़े ही शान से बाहर चली गई। नर्स के माध्यम से यह बात महेंद्र साहू को पता चली तो रश्मि कुमार ने उन्हें अपनी बेटी की लाश को तत्काल वहां से ले जाने की बात कही परंतु रात होने के कारण यह महेंद्र साहू के लिए संभव नहीं था,जिसमे बाद अपना करनामा छुपाने के लिए बड़ी ही बेशर्मी से मृतक के परिजन को पैसे तक की पेशकश की गई ताकि वो बात आगे ना बढ़ाएं।

आर. एस. सिंह के घर के बगल में ही संचालित है फर्जी नर्शिंग होम लेकिन नही पड़ी उनकी नजर या फिर मिलती है उन्हे भी काली कमाई में हिस्सा?? आखिर इतने बड़े हादसे के बाद भी बंद क्यों है डाक्टर साहब का मुंह?

मिली जानकारी के अनुसार रश्मि नर्शिंग होम का रजिस्ट्रेशन तक नही है और उपर से रश्मि कुमार जिला अस्पताल में डॉक्टर भी हैं फिर भी फर्जी तरीके से उसका अस्पताल आर एस सिंह के घर के बगल में ही मेन रोड पर संचालित है बाबजूद इसके सीएचएमओ की नजर इसपर नही पड़ी। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है की या तो आर एस सिंह निक्कममे(अयोग्य) हैं या फिर उनको भी इस गोरख धंधे का एक मोटा हिस्सा मिलता होगा?? क्योंकि अगर उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी तो ऐसे व्यक्ति को सीएचएमओ तो क्या पीयून तक नही होना चाहिए और यदि उन्हें इस बात की जानकारी थी तो संभव है उन्हे भी माल पानी मिलती रही होगी?

सिर्फ 2 नर्सों को सस्पेंड करेंगे तो कब होगी असली कार्यकर्ता पर कार्यवाही?

सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी 2 स्टाफ नर्सों को सस्पेंड करने की तैयारी में है लेकिन अब तक उनका कोई भी व्यक्तित्व डॉ रश्मि कुमार के लिए नहीं आया है या फिर उन्होंने साझा नहीं किया है लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि जब मुख्य कर्ता-धर्ता डॉ रश्मि कुमार है तो फिर उसके साथ इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है अब तक डॉ रश्मि कुमार के खिलाफ ना तो अपराध दर्ज किया गया है और ना ही कोई विभागीय दंडात्मक कार्रवाई की गई है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉ रश्मि कुमार की पहुंच काफी ऊंचे अधिकारियों तक है या फिर सीएमएचओ उस पर कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं क्योंकि फर्जी नर्सिंग होम में गाजर मूली नहीं काटे गए हैं बल्कि दो इंसानों की मृत्यु हुई है। आखिर कब तक इन डॉक्टरों के प्रैक्टिकल का नतीजा आम आदमी को भुगतना पड़ेगा क्या जिसका पहुंच और पावर नहीं है उसको न्याय नहीं मिलेगा क्या हमारे समाज में अब न्याय खरीदना भी पड़ेगा यह सबसे बड़ा सवाल है।

आखिर कब तक बचाएंगे स्वास्थ्य मंत्री सीएचएमओ को क्या उनके होते नहीं होगी आरएस सिंह पर कार्यवाही??

जैसा कि हम सभी जानते हैं और अधिकतर सुनने को ही मिलता है कि प्रदेश में दो गुट बनकर रह गए हैं जिसके चलते बने बनाए काम भी बिगड़ जा रहे है ऐसा ही कुछ सूरजपुर ही देखने को मिल रहा है जहां स्वास्थ्य मंत्री के करीबी विधायक खेलसाय सिंह के दामाद और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सूरजपुर के कारनामे अक्सर सुनाई देते हैं लेकिन विधायक के दामाद और मंत्री तक पहुंच के कारण ही शायद उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती हैं. पूर्व में भी अपने चहेते लोगों को वाहन चालक की नियुक्ति के मामले में भी खानापूर्ति हुई थी जबकि इस मामले पर सीएमएचओ पर कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन उनकी ऊंची पहुंच के कारण आरएस सिंह पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। लेकिन हमारे लगातार न्यूज़ प्रकाशन के मामले को शांत ना होता देख कर 20 वाहन चालकों की नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया था और उसे विधि पूर्वक पुनः नियुक्ति करने की बात कही गई थी बावजूद इसके सीएमएचओ पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि सच दुनिया के सामने था।

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