
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक दुबे को चाहिए फ्री पब्लिसिटी,, विज्ञापन लगवाकर पैसे देने में करते हैं आनाकानी…
छत्तीसगढ़ एक बात सामने आ रही हैं जो मजदूरों के अधिकारों के नाम पर कभी कभार हल्ला करने वाले तथाकथित नेता और तथाकथित इंटक के प्रदेश अध्यक्ष दीपक दुबे का एक सच उजागर हुआ है। आपको बता दें को एक न्यूज पेपर के सह संपादक को अपने जन्म दिन और 26 जनवरी के नाम पर अलग – विज्ञापन खुद देकर उसे पेपर में छपवाने की बात कही तथा उसका भुगतान भी खुद करने की बात कही गई थी लेकिन इन तथाकथित नेता के द्वारा जब फ्री में पब्लिसिटी मिल गई तो अब उनका मनशा पैसे देने से बदल गया है,और जब उक्त समाचार पत्र द्वारा अपना पैसा मांगा जा रहा है तो दीपक दुबे के पेट में दर्द चालू हो गया है क्योंकि ये तो मुफ्तखोरों के जैसे फ्री में पब्लिसिटी चाहने वाले में से हैं जिनको बस अपना नाम बनाना है और कुछ नही।
मजदूर हित में लंबी लंबी फेकने वाले प्रदेश अध्यक्ष को नही जानते मजदूर।
इंटक के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त में बताया की जैसा की हम आपको बता रहे हैं की ये दीपक दुबे जो इंटक का अपने को प्रदेश अध्यक्ष बताया है उसको एक मजदूर भी ठीक से नही जानते,और वो सिर्फ अपनी फ्री की पब्लिसिटी करने में लगा रहता हैं और मजदूरों के हित में इसका कोई योगदान उन्हें ज्ञात नही हैं।
नौकरी के नाम पर इसके पार्टी के लोग दूसरे लोगों से लेते हैं पैसा।
मिली जानकारी के आधार पर दीपक दुबे के लोग दूसरे लोगों को नौकरी का झांसा देकर पैसा लेते हैं और बहुत सारे लोग हैं जिनकी नौकरी अबतक नही लगी है,और ना ही उनके पैसे लौटाए गए हैं।
खैर दीपक दुबे जो अपने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत है ऐसे व्यक्ति को किसी से विज्ञापन लगवाकर फिर उन्हे पैसे ना देना बेहद शर्मनाक है और दीपक दुबे जैसे लोगों के ऐसे कु कृत्य से पार्टी की छवि भी धूमिल हो रही है,और साथ में ऐसे मुफ्तखोर और फ्री पब्लिसिटी वाले नेता की करतूत सामने आ रही है, क्योंकि इन्होंने अपनी स्वेक्ष से उक्त समाचार पत्र को विज्ञापन दिया था जिसके प्रमाण न्यूज पेपर के स्वामी के पास उपलब्ध हैं फिर भी ये लोग ऐसे हैं जिनके बारे में जितना लिखा जाय काम ही होगा । समझने ने बात तो यह है की ये लोग न्यूज वालों के साथ ऐसा कर रहे हैं तो फिर आम जनता के साथ क्या करेंगे यह कहने की जरूरत नहीं है,ये सिर्फ अपनी तरक्की और पब्लिसिटी के लिए ही काम करते हैं ऐसा इनकी करतूतों से समझ में आ रहा है।
इन दोनों को काफी फोन मैसेज करने के बाद भी इन दोनों ने पैसे नहीं दिए, गौर करने वाली बात तो यह है कि खुद को मजदूर कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष कहने वाले दीपक दुबे एवं महिला प्रदेश अध्यक्ष सुनीता दुबे जो दीपक दुबे की पत्नी है इतने बड़े गोलमाल करने वाले निकले कि इन्होंने ना तो किसी फोन का जवाब देना जरूरी समझा और ना ही किसी भी मैसेज का जवाब दिया। ऑनलाइन रहते हुए भी दीपक दुबे चोरों की तरह अपना मुंह छुपाते हुए नजर आए और तो और मैसेज सीन करने का भी साहस नहीं जुटा पाए,और बेशर्मों की तरह समाचारपत्र का पैसा ढकार गए, हद होती ऐसे तथाकथित नेताओं की।
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हैं इन लोगों के द्वारा विभागीय कर्मचारियों से वसूली करने की बात भी सामने आती है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष अगर किसी शहर या जिले में अपनी तशरीफ ला रहे हो तो उनके कार्यकर्ता विभागों से पैसे वसूलने जाते हैं तथा अपने प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में चार चांद लगाते हैं। हर महीने पार्टी खर्च के नाम पर भी विभागों से चंदा वसूली किया जाता है ताकि ऐसे लोगों का घर चल सके।