Mon. Jun 16th, 2025

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सूरजपुर बहु चर्चित सौतेले पुत्र मामले में आज बुजुर्ग महिला के आंसुओं का हिसाब भगवान ने उन्हें दिया है और तहसीलदार को उनके करतूतों का थोड़ा प्रतिफल मिला है। आपको बता दें कि शैल कुमारी नामक बुजुर्ग महिला ने साक्ष्यों के साथ आरोप लगाते हुए कलेक्टर सूरजपुर से न्याय की गुहार लगाई थी उन्होंने बताया था कि उनके सौतेले पुत्र के द्वारा तहसीलदार से सांठगांठ करते हुए अनधिकृत तौर पर उनके जमीन को हथिया लिया गया है और उन्हें फर्जी भी बताया जा रहा है। तहसीलदार संजय राठौर के बारे में लोग बताते हैं कि उनका जीभ काफी लंबा है और सूरजपुर में भी वो अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे और जो उन्हें जो पैसे का प्रलोभन देता था उसके काम को सही हो या गलत सबसे पहले किया करते थे खैर लोग तो अब और खुल के सामने आयेंगे और तहसीलदार संजय राठौर की पोल खोल के रख देंगे।

क्या जमीन में हेर फेर के बदले तहसीलदार को मिला था जमीन के रूप में सम्मानजनक रिश्वत…?

अब जब जांच में स्पष्ट हो चुका हैं तहसीलदार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन को शैल कुमारी के सौतेले पुत्र के नाम किया गया बाद में उसे खुद तहसीलदार ने अपनी पत्नी के नाम पे भी खरीद लिया,ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तहसीलदार को इस गलत काम के एवज में यह जमीन रिश्वत के तौर पर मिली थी।

पत्रकारों को समाचार खंडन,मानहानि,और व्यक्तिगत फोटो की बात कहते हुए नोटिस भेजने की फिराक में थे लेकिन वो नोटिस भेजने का साहस कर पाते इससे पहले आयुक्त साहब ने उनको निलंबन का नोटिस थमा दिया।secl क्षेत्र से दूर रहने के बाबजूद रिश्वत के कोयले से अपना मुंह काला करा बैठे तहसीलदार साहब को अब यह बात जरूर समझने की जरूरत है कि वो जिन लोगों के बहकावे में आकर हमारे सामने कुछ पत्रकारों को बोल रहे थे कि मेरे खिलाफ जो लोग न्यूज लगाए हैं वो पोर्टल वाले हैं और उनको कोई जानता भी नहीं है,खैर तब तक तो हमने खबर का प्रकाशन तक नहीं किया था उनके एक एक शब्द को जब खबर प्रकाशित किया तो अपने न्यूजपेपर और अधिकृत वेबसाइट में लिखा था। लेकिन तहसीलदार साहब के इस अड़ियल रवैया को सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों ने यह दिखा दिया कि उनकी कलम तहसीलदार के चहेतों की तरह विज्ञापन में नहीं बिकेगी। उन्होंने एक बात और कही थी कि मेरा मैनेजमेंट बहुत तगड़ा है मेरे खिलाफ कोई नहीं छापता तो साहब की इतनी फजीहत कैसे हुई यह सोचने का विषय है उनका मैनेजमेंट सिस्टम कैसे फैल हुआ यह सवालों के घेरे में हैं। एक लालच के चलते आज तहसीलदार साहब अपने पद और प्रतिष्ठा दोनों गवां बैठे हैं।

कार्यालय में बर्थडे पार्टी मानने का फोटो भी एक प्रतिष्ठित समाचारपत्र ने उजागर किया था,ऐसे में यह भी सवाल बनता है कि क्या गलत सही मामले जमीन खरीद लेने वाले तहसीलदार संजय राठौर ने कहीं भैयाथन के तहसील कार्यालय को अपने नाम पे रजिस्ट्री तो नहीं करवा लिया है,क्योंकि अधिकारी हो या कोई और कार्यालय काम करने के लिए होता है बर्थडे में केक काटने और पार्टी करने के लिए नहीं,उन्हें अगर पार्टी करना ही था तो भोजन अवकाश के समय कार्यालय से बाहर जाकर गरीबों के साथ केक काटते और उन्हें मिठाई खिलते जो अपने जमीन के मामले में कई वर्षों से पेशी के दिन दिनभर सर्दी,गर्मी,बरसात में बाहर खड़े रहते हैं जो एक मिशाल भी बनती।

अब चूंकि सस्पेंड तो हो गए हैं साहब लेकिन उनके विरुद्ध अपराध दर्ज होना बाकी है क्योंकि उनका कृत्य अपराधिक श्रेणी में आता है जिसके लिए उन्हें इस प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ सकता है,लेकिन मैनेजमेंट में माहिर तहसीलदार कहीं अपना चेहरा तो नहीं बचा पाए सच्चाई उजागर होने से तो नहीं कानूनी फंदे में फंसने से अपना गर्दन ना बचा लें,क्योंकि जो एक मामले में बेशकीमती जमीन खरीद सकता है वो अपनी जान बचाने कितने घर उपहार में ना दे दे,खैर ये समय ही बताएगा कि आगे उनपर क्या कार्यवाही होती है।

तहसीलदार संजय राठौर निलंबित, शिकायतकर्ता को मृत दिखाकर किया गया था भूमि का अनुचित नामांतरण
शिकायत की जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर सरगुजा संभागायुक्त ने किया सख्त करवाई

जिला सूरजपुर के ग्राम कोयलारी, तहसील भैयाथान की निवासी शैल कुमारी दुबे द्वारा की गई गंभीर शिकायत पर कार्यवाही करते हुए, संभागायुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा ने तहसीलदार श्री संजय राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आवेदिका शैल कुमारी दुबे ने दिनांक 26 मई 2025 को शिकायत प्रस्तुत कर बताया कि तहसीलदार संजय राठौर द्वारा सांठगांठ कर उन्हें मृत दर्शाते हुए उनकी निजी स्वामित्व की भूमि (खसरा क्रमांक 45/3, रकबा 0.405 हे.) जिसका रिनंबरिंग में नया खसरा नंबर 344 है, जिसका अनुचित नामांतरण और विक्रय किया गया।
आवेदिका की शिकायत पर अपर कलेक्टर सूरजपुर एवं तहसीलदार लटोरी की संयुक्त टीम द्वारा जांच की गई। जांच रिपोर्ट क्रमांक 99/अ.कले./2025, दिनांक 09.06.2025 के अनुसार श्री संजय राठौर द्वारा जीवित आवेदिका को मृत बताकर उनकी भूमि का नामांतरण सौतेले पुत्र वीरेन्द्रनाथ दुबे के पक्ष में किया गया, जोकि प्रथम दृष्टया अनैतिक माना गया।
प्रारंभिक जांच में संजय राठौर को अपने पदीय दायित्वों के प्रति गंभीर लापरवाही और स्वेच्छाचारिता का दोषी पाए जाने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन माना गया है। फलस्वरूप, उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत नियम 9(1)(क) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
निलंबन अवधि में राठौर को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी, तथा इस अवधि के लिए उनका मुख्यालय कार्यालय कलेक्टर, बलरामपुर-रामानुजगंज नियत किया गया है।

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