सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र अम्बिकापुर स्वास्थ्य विभाग के लचर व्यवस्थाओं की खबरें लोग आए दिन पढ़ते और सुनते आए हैं,लेकिन जब डॉक्टर की हालत ही खराब हो तो उसका इलाज कौन करे। भगवानपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में राकेश कश्यप के उपर जांच चल रही थी और उसके उपस्थिति में जांच दल के द्वारा लाल पेन से प्रश्न चिन्ह लगाया गया था लेकिन जांच टीम के द्वारा लगाए गए प्रश्न चिन्ह के उपर बिना किसी अनुमति के राकेश कश्यप के द्वारा केवल दो दिनों का हस्ताक्षर कर दिया गया है,यह हस्ताक्षर कई सवालों को जन्म देता हैं जैसे कि
राकेश कश्यप के द्वारा उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर कैसे किया गया जबकि उपस्थिति पंजी में जांच टीम के द्वारा पहले से प्रश्न चिन्ह लगाए गए हैं..?
राकेश कश्यप ने हस्ताक्षर किया तो केवल दो ही दिन का क्यों…?
राकेश हस्ताक्षर उपस्थिति पंजी में प्रभारी डॉक्टर अपूर्व जायसवाल के होते हुए कैसे कर सकता है..?
जब दो दिनों का हस्ताक्षर उपस्थिति पंजी में दिखा तो अपूर्व जायसवाल ने अपने उच्च अधिकारियों को सूचित क्यों नहीं किया..?
क्या अपूर्व जायसवाल को राकेश कश्यप के डर लगता है..? जो वो अपने अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दे पाए..?
क्या डॉक्टरों पर मानसिक प्रताड़ना और पैसे मांगने का आरोप लगाने वाले कश्यप ने अपूर्व जायसवाल को अपने पक्ष में मिला लिया..?

जब इस मामले पर अपूर्व जायसवाल से बात की गई तो सबसे पहले उनके द्वारा इस मामले की जानकारी को देखने और समझने के लिए समय मांगा गया और दूसरे दिन जब उनसे इस बारे में अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि वो मीडिया और बयान से थोड़ा दूर रहते हैं और इस मामले पर उन्हें ना घसीटा जाए और उन्होंने खबर प्रकाशन ना करने का भी निवेदन किया। जब इस मामले पर उन्हें बोला गया कि आप चूंकि भगवानपुर स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी हैं और आपका दायित्व बनता है कि आप सही और गलत पर निगरानी रखें और यदि कुछ गलत हो रहा है तो इसकी सूचना अपने उच्च अधिकारियों को दें आपने यदि इसकी सूचना अपने उच्च अधिकारियों को नहीं दी है इसका मतलब है कि आप स्वयं गलत है क्योंकि उच्च अधिकारियों को सूचित ना करके आपने भी स्वयं गलत का साथ दिया है जिस पर अपनी स्वीकृति भी मौखिक रूप से डॉक्टर अपूर्व जायसवाल ने दी लेकिन बार-बार उनके द्वारा एक ही निवेदन किया जा रहा था कि कृपया करके इस खबर का प्रकाशन ना करें क्योंकि उन्होंने बताया की बेचारे राकेश कश्यप को अवेतनीक करके नौकरी से हटाया जा रहा है, तो अब और क्या उसके विरुद्ध किया जा सकता है। लेकिन डॉक्टर अपूर्व जायसवाल यह बात भूल गए कि भले ही जीवनदीप समिति के कर्मचारी राकेश कश्यप की विरुद्ध जांच चल रही है लेकिन उन्हें नौकरी से अब तक नहीं हटाया गया है और ना ही किसी प्रकार का उनका वेतन रोका गया है वह अभी भी जीवनदीप समिति के कर्मचारी हैं ऐसा कोई आदेश हमारे समक्ष नहीं है जिसमें राकेश कश्यप को नौकरी से पृथक करने की जानकारी मिलती हो। इन सारी बातों के बावजूद डॉक्टर अपूर्व जायसवाल ने वार्तालाप होने के बाद तक इस बारे में अपने उच्च अधिकारियों को सूचित नहीं किया था,लेकिन इस मामले पर नया मोड़ तब आता है जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का एक कारण बताओं नोटिस हमारे हाथ लगता है इस कारण बताओं नोटिस से स्पष्ट है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा राकेश कश्यप को कार्य में अनुपस्थित रहने के कारण कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है जिसमें स्पष्ट है कि 10 तारीख से लेकर 24 तारीख तक वह व्यक्ति अपने कार्यालय में अनुपस्थित था।

सीएमएचओ साहब की गलती या अपूर्व जायसवाल गलत..?
जब इस मामले पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि यह लेटर उन्हीं के कार्यालय से उनके हस्ताक्षर के बाद जारी किया गया था और उन्हें इस बारे में जानकारी दी गई थी की राकेश कश्यप 10 तारीख से लेकर 24 तारीख तक अनुपस्थित था जिसके लिए राकेश कश्यप को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था। इस मामले पर दूसरा पक्ष यह है कि डॉक्टर अपूर्व जायसवाल जो की भगवानपुर स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी हैं उनके द्वारा यह बताया गया की हस्ताक्षर राकेश कश्यप ने कब हस्ताक्षर किया इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि जब डॉक्टर अपूर्व जायसवाल भगवानपुर स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी हैं तो उसे स्वास्थ्य केंद्र की समस्त गतिविधियों पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है क्या वह अपने जिम्मेदारियां का सही से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं या फिर जांच दल के ऊपर मानसिक प्रताड़ना और 50000 की रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाले राकेश कश्यप ने डॉक्टर अपूर्व जायसवाल को उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने के लिए उचित प्रलोभन देकर उन्हें अपने पक्ष में कर लिया था..? यदि राकेश कश्यप ने डॉक्टर अपूर्व जायसवाल को उचित प्रलोभन देकर उनको अपने पक्ष में लिया था तो सोचने वाली बात यह है कि पूरे जांच टीम पर 50000 की रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाले राकेश कश्यप ने दो दिन के हस्ताक्षर और केवल एक व्यक्ति को अपने पक्ष में सहमति देने के लिए क्या प्रलोभन दिया होगा या कितना सस्ता प्रलोभन दिया होगा यह तो सोचने का विषय है। लेकिन डॉक्टर अपूर्व जायसवाल के कारनामों या यू कहे क्रियाकलापों से यह प्रतीत होता है कि या तो डॉक्टर अपूर्व जायसवाल राकेश कश्यप से भयभीत हो रहे हैं या फिर राकेश कश्यप ने प्रलोभन देकर उन्हें अपने पक्ष में कर लिया था इसके बाद उन्होंने 2 दिन का हस्ताक्षर करने की अनुमति राकेश कश्यप को दे दी होगी।
वैसे हम आपको बता दें कि आजकल लोग काफी भावुक होने लगे हैं जिस प्रकार एक दूध पीता बच्चा जब उसे भूख लगती है तो वह मम्मी मम्मी कहकर रोता है वैसे ही कुछ लोग जब किसी से कोई आग्रह करते हैं और कोई उसे ठुकरा दिया जाता है तो आग्रह करने वाला व्यक्ति अंकल अंकल कहकर नेताओं के शरण में चला जाता है और अपने विरुद्ध किसी भी प्रकार के आदेश निर्देश आदि करने वाले अधिकारी के पास फोन करने का आवेदन निवेदन करने लगता है ऐसे व्यक्तियों को जो अपना काम सही से नहीं कर पाते हैं और जब उनकी कोई बात निकल कर सामने आती है तो वह चाचा जी के शरण में चले जाते हैं।