सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र सूरजपुर : जिले के प्रतापपुर तहसील में तहसीलदार के पद पर रहे पुष्पराज पात्रा द्वारा प्रतापपुर तहसीलदार के पद में रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन खरीदी बिक्री मामले में कई अनियमितताएं की गई हैं, जिनसे पर्दा धीरे–धीरे उठने लगा हैं। पात्रा द्वारा बिना पटवारी प्रतिवेदन के ही जमीन की रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज आगे बढ़ाए गए। तहसीलदार पात्रा घुस,रिश्वत,डर,दबाव,रोटी,बोटी या किस प्रपंच में फंस कर यह किया गया है यह हमे नहीं पता है।पर पुष्पराज पात्रा भूल गए कि वो तहसीलदार हैं ना कि पटवारी और पटवारी प्रतिवेदन में स्वयं हस्ताक्षर कर के रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज आगे बढ़ने लगे, ये एक बार की भूल नहीं बल्कि ये कई दस्तावेज हैं जो इस बात का प्रमाण दे रहे हैं। उन सैकड़ों दस्तावेजों में कुछ दस्तावेज हमारे पास भी हैं।पुष्पराज पात्रा के बारे में वो लोग जो उन्हें जानते हैं गोपनीयता बनाए रखने के शर्त पर बताते हैं कि, वो बताते हैं कि पुष्पराज पात्रा एक नंबर के दो नंबर काम करने वाले व्यक्ति हैं,और अगर इनके कार्यकाल के कार्यों का जांच हो तो इनके इतने कारनामे सामने आयेंगे जो शायद ही किसी अधिकारी के आते रहे होंगे।
गलत नहीं तो हैं पात्रा तो इतने बड़े अधिकारी होकर भी मुंह क्यों छुपा रहे हैं..?
जब उनके इन कारनामों के बारे में उन्हें फोन करके मामले की जानकारी दी गई तो पुष्पराज पात्रा ने किसी एक मामले के साक्ष्यों को उन्हें व्हाट्सएप करने को कहा और हमने उन्हें उनके कई कारनामों में से एक की जानकारी साक्ष्यों के साथ व्हाट्सएप में भेजी तो सबूतों को देखने के बाद तात्कालिक तहसीलदार पुष्पराज पात्रा ने कुछ दिन में दस्तावेज देख कर अपना पक्ष रखने की बात कहीं और बाद में जब उनसे फिर इस विषय पर जानकारी लेने का प्रयाय किया गया तो उनके द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई और समय की मांग करते हुए आज कल करते रहे। तहसीलदार साहब का जवाब आज कल के चक्कर में आज पर्यंत तक नहीं मिला। तहसीलदार पुष्पराज पात्रा जब गलत नहीं हैं तो उन्हीं के हस्ताक्षर किए दस्तावेज पर उन्हें जानकारी देने में क्या परेशानी है यह समझ से परे लगा।जब एक पटवारी साहब से बात हुई जिन्होंने अपने विभाग की समस्याएं बताने के लिए ही हमसे संपर्क किया तो उन्होंने बोला कि आज कल तो हमारे विभाग (राजस्व) में हर कोई बस अपनी जेब भरने पर लगा हुआ है और उन्हें केवल अपने कमिशन की ही पड़ी है,वैसे ही पात्रा साहब भी हैं उन्हें अपने नौकरी की भी चिंता नहीं है क्योंकि अधिकतर लोग तो इस सोच में रहते हैं कि उनके मामले के बारे में किसी को पता ही नहीं चलेगा।आगे पटवारी साहब ने बताया कि विभाग में रिश्वत लेना तो दस्तूर बन गया है,जब हम भी कोई काम करवाते हैं तो हम सिस्टम को पहले से ही समझते हैं इस लिए हम लोग बिना बोले ही अपने से इस दस्तूर (रिश्वत) का पालन करते हैं।
पात्रा तहसीलदार के द्वारा किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं की गई है तो उन्हें सवालों से बचने की क्या जरूरत है,वो स्वयं भी अच्छी तरह जानते हैं कि जो काम उन्होंने नियमों को ताक पर रखते हुए किया है वो गलत है और उनके पास कहने या अपने पक्ष में सफाई पेश करने को कुछ नहीं है। हमारे द्वारा इस मामले पर और भी साक्ष्यों को इक्कठा करने का प्रयास किया जा रहा है,और अन्य विषयों पर कुछ गोपनीय जानकारी जो पात्रा साहब के और भी कारनामों को उजागर करेगी के प्रमाणों को इक्कठा करने का प्रयाय किया जा रहा है। आगे हम पात्रा साहब के और नए मामलों और साक्ष्यों के साथ खबर का प्रकाशन करेंगे,जो विभाग के कुछ विश्वनीय सूत्रधार द्वारा प्रदान करने की बात कही गई है।