बीइओ डीके गुप्ता को नही हैं पत्रकारों से बात करने की तमीज,अपने शिक्षक को बचाने भूल गया शब्दों की मर्यादा

सिंधू स्वाभीमान समाचारपत्र अम्बिकापुर लुण्ड्रा विकासखंड स्थित प्राथमिक शाला खोल्ही पारा जो एक कोरवा जनजाति बहुल है वहां की स्थिति बदतर से भी ज्यादा खराब स्थिति में हैं। हमे अपने सूत्रों से जानकारी मिली थी की वहां अनिमितताओं का गढ़ देखने को मिलेगा और शिक्षक आते जाते हैं लेकिन बच्चों पर ध्यान नहीं देते,जब हम वहां पहुंचे तो हमने पाया की जिस बर्तन में बच्चों के लिए खाना बनाया जाता है वह काफी गंदा है और तो और पीने के पानी में कीड़े चल रहे हैं,बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा व्यवहारिक ज्ञान सीखना भी शिक्षकों का दायित्व भी होना चाहिए, लेकिन वहां उपस्थित दो बच्चे जिनकी स्थिति देख कर ऐसा नहीं लग रहा था की उनको ऐसी कोई शिक्षा दी जा रही है। स्कूल की स्थिति बहुत ही खराब है जगह जगह पर कबाड़ जैसे समान रक्खे गए हैं और स्कूल की द्वारों पर मकड़ी के जाले लटक रहे हैं। स्कूल की जमीन पर अनाधिकृत तौर पर सरसों की खेती की गई है। लोगों ने बताया की स्कूल की छुट्टी 2 बजे कर दी जाती है और वहां उपस्थित एक मैडम कभी आती हैं और कभी नहीं आती हैं साथ ही वो एक दिल पूर्व का अटेंडेंस लगा कर चली जाती हैं।

स्कूल में बच्चों की हालत
पीने के पानी में कीड़े पड़े हुए हैं
गंदे बर्तन में बनता है बच्चों का खाना
गंदा पानी
अधपका चावल

प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री की फोटो जमीन पर

स्कूल कार्यालय में जब हम गए तो हमने पाया की वहां देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और वर्तमान मुख्य मंत्री श्री भूपेश बघेल की तस्वीर को जमीन पर रखा हुआ है, लेकिन इसके विपरित पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह की तस्वीर दीवार पर टंगी हैं,प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री की तस्वीर को जमीन पर रखना देश और प्रदेश का अपमान करने के बराबर है।

बीईओ ने कही बेतुकी बातें

डीके गुप्ता बीईओ


जब हमने इस पूरे मामले की जानकारी बीइओ डीके गुप्ता को बताई तो उसने कहा की कुछ बातों को नजर अंदाज भी करना पड़ता है साथ और अगर तुम्हारे हिसाब से अपमान हुआ है तो हम सम्मान वापस ला देंगे,लेकिन बीईओ के द्वारा ऐसा कहना कि हम सम्मान वापस ला देंगे एक बेतुका बयान है क्योंकि 57 साल के बीइओ को इतना भी ज्ञान नहीं है कि जो व्यक्ति पूरे देश का और पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता हो यदि उसका अपमान हो रहा है तो यह देश और प्रदेश दोनों का अपमान है, डीके गुप्ता ने अपनी चोरी या अपने शिक्षक को बचाने के लिए आगे भी बेतुकी बातें करनी चालू की जब हमने अपमान की बातें बोली तो उसने कहा कि बहुत लेक्चर दे दिया तुम लोगों ने अब लेक्चर मत दो जिस पर हमारे द्वारा टिप्पणी करते हुए कहा गया कि हमने कोई लेक्चर आपको नहीं दिया है हम केवल आपकी कमजोरी आपको बता रहे हैं यदि देश का और प्रदेश का अपमान होगा तो हम पत्रकार हो या ना हो परंतु सर्वप्रथम देश के नागरिक हैं और देश और प्रदेश का अपमान नहीं सहेंगे इसके बाद कुर्सी के नशे में चूर डीके गुप्ता ने पत्रकारों को धमकी देते हुए कहा जो छापना है छाप दो मुझे फर्क नहीं पड़ता। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बाद भी हमें एक छोटे से विकासखंड के बीईओ से पूछ कर कुछ चीजें छापरी पड़ेगी जबकि हमें सरकार ने छापने के लिए अधिकृत कर रखा है बावजूद इसके हमें बीईओ से समाचार प्रकाशित करने से पूर्व पूछना पड़ेगा जिसे अपने शब्दों का मान और अपने शब्दों की गरिमा का पता नहीं है जिस प्रकार से बीईओ ने बातें की उस प्रकार से स्पष्ट ऐसा प्रतीत होता है यह व्यक्ति शिक्षा विभाग के योग्य तो बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि शिक्षक को नम्र होना चाहिए और हमने किसी प्रकार से दुर्व्यवहार या गलत भाषा का प्रयोग नहीं किया बल्कि जितनी देर हम उसके कार्यालय में रहे बातें की उसका साक्ष हमारे पास उपलब्ध है, जो आवश्यकता पड़ने पर दिखाई जा सकती हैं। लेकिन अपने करीबियों के बड़े पद पर होने का गुमान दिखाकर या फिर किसी बड़े नेता से पहचान होने की गर्मी के कारण डीके गुप्ता ने अपने पद और मर्यादा का मान ना रखते हुए ऐसी बातें की जो शिक्षा विभाग के अधिकारी को बिल्कुल भी शोभा नहीं देता। क्या डीके गुप्ता अपने बच्चों को एक ऐसे स्कूल में पढ़ा सकता है जहां पीने के पानी में कीड़े हो जहां अध पके चावल खाने में दिए जाते हो और स्कूल की स्थिति दयनीय हो शिक्षक 2:00 बजे छुट्टी करके चले जाते हो और वहां उपस्थित एक मैडम 1 दिन पूर्व की उपस्थिति दर्ज कर दूसरे दिन ना आती हो। 57 साल के एक व्यक्ति जो कि एक विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर बैठा है इतना अहंकार दिखाना उचित नहीं है। आखिर आपके परिवार में अगर कोई कलेक्टर है तो आपको गौरवान्वित होना चाहिए ना कि अहंकार के नशे में चूर होना चाहिए।

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