वन विभाग अम्बिकापुर में चल रहा परिवारवाद जीजा की जगह साला बन बैठा अधिकारी

सिंधु स्वाभिमान समाचारपत्र विशेष संवाददाता अम्बिकापुर शहर के रामानुजगंज रोड जांच नाका में एक वन विभाग का एक बड़ा करनामा सामने आ रहा है,जिसमे वनोपज में वाहनों की रायल्टी पर्ची की जांच तथा किसी भी प्रकार से वनोपज की अवैध तस्करी को रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी वन विभाग के द्वारा तैनात किए जाते हैं लेकिन कई मामलों में देखा जाता है कि या यह जांच नाका बंद होता है या फिर यहां से अधिकारी भी नदारद रहते हैं लेकिन अभी जो मामला सामने आ रहा है उससे यह साबित होता है कि वन विभाग अपनी संपत्ति और अपने दायित्व को लेकर कितनी लापरवाह है

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वनोपज जांच नाका रामानुजगंज रोड अंबिकापुर में ड्यूटी कर रहे विजय कुमार की जगह उसके साले ने रॉयल्टी पर्ची पर विजय कुमार के हस्ताक्षर कर दिए और जब यह घटना कैमरे में कैद हुई। तब भी वह लड़का बेखौफ और इमानदारी से बता रहा है कि उसने अपने जीजा का फर्जी हस्ताक्षर उस कागज पर किया है। बता दें की तपेश्वर नमक युवक सरकारी कागज पर अपने जीजा का जाली हस्ताक्षर करता हुआ कैमरे में कैद हुआ और स्वीकार भी कर रहा है की उसने अपने जीजा का जाली हस्ताक्षर किया भी है।

अपने जीजा विजय कुमार का जाली हस्ताक्षर करता हुआ उसका साला तपेश्वर
सरकारी कागज पर जाली हस्ताक्षर

अब गौर करने वाली बात यह है कि युवक का वीडियो बनने के बाद उसने स्वीकारा किया की उसने अपने जीजा का जाली हस्ताक्षर किया है यह जानते हुए भी कि वीडियो वायरल होने के बाद उसके ऊपर तथा उसके जीजा के ऊपर कार्रवाई हो सकती है बावजूद इसके ना तो उस युवक को कानून का डर है और नहीं उसके जीजा को वन विभाग का जोकि वन विभाग में पदस्थ कर्मचारी हैं आखिर वन विभाग के आला अधिकारी अपना पराया का धर्म निभाते हुए कब तक अपने विभाग के गुनहगारों को बचाते फिरेंगे यह सोचने का विषय है या हो सकता है की वन विभाग की टीम भी इस पूरे मामले पर मिली हो और इस मामले में उच्च अधिकारियों के संज्ञान में होकर भी इस प्रकार का कृत्य किया जा रहा है।

हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते परंतु इस घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है की जांच नाका में और रॉयल्टी पर्ची के नाम पर वाहन चालकों से अवैध उगाही की जाती होगी तथा अपना दामन साफ रहे इसलिए अपने जगह किसी और को बैठा दिया जाता है जिससे कभी उन पर आंच ना सके। अब देखने वाली बात तो यह होगी की बात अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद ऐसे लोगों पर क्या कार्रवाई होती है या फिर अपनी विभाग का मामला बता कर उसे आपस में ही निपटा लेंगे।

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